सिद्ध श्री बालाजी महाराज मंदिर की स्थापना का सटीक इतिहास ज्ञात नहीं है, लेकिन स्थानीय मान्यताओं और लोककथाओं के अनुसार, यह मंदिर प्राचीन काल में स्थापित किया गया था। कहा जाता है कि इस स्थान पर हनुमान जी की उपासना करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
सर्वप्रथम प्रातः स्मरणीय पूज्य श्री उमाशंकर जी शर्मा ( छोटे महाराज जी, बँगरा ) और भगवती स्वरूपा माँ राम जानकीजी के श्री चरणों में कोटि-कोटि प्रणाम करता हूँ। आज माँ की असीम अनुकम्पा से पूजय गुरूदेव भगवान का जीवन परिचय सभी भक्तगणों के सामने रख रहा हूँ। पूज्य श्री बाबा का जन्म 5-3-1948 को एक ब्राह्मण परिवार में ग्राम पो०-बंगरा जिला- जालौन में हुआं। इनकी माताजी का नाम स्व० श्री रामकली एवं पूजय पिताजी का नाम स्व० श्री जगत नारायण जी था।भाइयों में सबसे बड़े होने के कारण सारी पारिवारिक जिम्मेदारी महाराज जी के ऊपर थी इसलिए इनकी शिक्षा दिक्षा पूरी होते ही इनका शुभ विवाह 10 जुलाई 1967 में श्रीमती राम जानकीजी के साथ हुआ। साधारणजन की तरह महाराज जी भी अपने जीवन में खुश और प्रसन्न थे। सन् 1971 में इनको पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई परन्तु होनी को कुछ और ही मंजुर या इनकी खुशी परं तुषारापात तब हुआ जब इनका पुत्र नौ माह पश्चात ही इस दुनियां से चल बसा और इनकी पत्नी का स्वास्थ्य खराब रहने लगा। स्वास्थ्य दिन पर दिन इतना गिरने लगा कि महाराजजी को चिन्ता होने लगी क्योंकि पुत्र खोने के बाद किसी भी कीमत पर पत्नी को खोना नहीं चाहते थे। ऐसे समय में सब तरफ से हताश महाराज जी को जब किसी भक्त द्वारा पता चला कि राजस्थान में श्री बालाजी सरकार का मन्दिर है आप इनको वहाँ ले जाय बालाजी सरकार के मन्दिर में पहुँचने के बाद बाधा दूर हो जाती है और सचमुच बालाजी की असीम अनुकम्पा से महाराज जी के जीवन में खुशियाँ नया रूप लेकर आ गई इनकी पत्नी का स्वास्थ्य भी दिन पर दिन ठीक होने लगा और इनका घर एक पुत्र और पुत्री के आगमन से वापस चमकने लगा। तभी महाराज जी ने अपनी खुशियों को बरकरार रखने के लिए परिवार की रक्षा हेतु दरख्वास्त लगाना चालू कर दिया। दो या तीन दरख्वास्त लगाने के बाद श्री बालाजी की असीम कृपा हुई। महाराज जी ने शुरूआती जीवन में बाधाओं द्वारा होने वाले कष्टों को स्वर्य अनुभव किया है इसीलिये बाबा आज अपने हर बच्चे की बाधा को उसी तत्परता से हरना चाहते है ताकि उनका हर बच्चा बालाजी सरकार से जुड़कर बाधा मुक्त हो सके और अपने जीवन को सुखी और समृद्ध बनाये इसी पवित्र संकल्प के साथ माँ भगवती की असीम अनुकम्पा से बाबा पूज्य श्री छोटे महाराज जी स्वयं देश के बड़े - बड़े एवं सभी शहरों में श्री बालाजी सरकार के सवामनी हवन कराते है। सवामनी हवन जिन शहर में होते है उसमें उपस्थित कुछ बच्चों की बाधायें तो उस समय ही बाबा की उपस्थित में बाधामुक्त कर देती है। प्रतिवर्ष 25-30 हवनो का कार्यक्रम भिन्न-भिन्न शहरों में होता है। पूज्य श्री छोटे महाराज जी की सेवा के अन्तर्गत ही कानपुर महानगर में एक विशाल मन्दिर का निर्माण कार्य जनवरी 2005 से प्रारम्भ हो चुका है।
मंदिर की प्रकृति और उसके धार्मिक, सामाजिक, और सांस्कृतिक उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए उनके प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं
मंदिर में प्रतिदिन सुबह और शाम की आरती, अभिषेक, और विशेष अनुष्ठान आयोजित किए जाते हैं।
Read Moreप्रमुख त्योहारों जैसे राम नवमी, जन्माष्टमी, शिवरात्रि, दुर्गा पूजा, नवरात्रि आदि का आयोजन।
Read Moreमेला और उत्सव धार्मिक मेलों का आयोजन। कल्याणकारी योजनाएं जैसे वृद्धाश्रम, अनाथालय या गौशाला का संचालन।
Read Moreधार्मिक संगीत और भजन संध्या मंदिर में भजन, कीर्तन, और धार्मिक संगीत का आयोजन।
Read Moreकौशल विकास सिलाई सेंटर एक ऐसा स्थान है जहाँ महिलाओं और युवतियों को सिलाई-कढ़ाई के माध्यम से आत्मनिर्भर बनने का प्रशिक्षण दिया जाता है। इस केंद्र का उद्देश्य है.
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